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देहरादून: भारतीय सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहित करने के अपने अभियान के तहत, स्पिक मैके (सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक एंड कल्चर अमंगस्ट यूथ) ने आज देहरादून के दून गर्ल्स स्कूल में प्रसिद्ध बस्तर बैंड के आकर्षक प्रदर्शन आयोजित किए। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों को छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की समृद्ध जनजातीय संगीत परंपराओं से रूबरू होने का अनोखा अवसर प्राप्त हुआ।

पद्मश्री से सम्मानित अनूप रंजन पांडे द्वारा स्थापित बस्तर बैंड, विभिन्न जनजातीय समुदायों — जैसे मुरिया, डंडामी मड़िया, धुर्वा, भत्रा, मुंडा और हल्बा — से जुड़े कलाकारों का एक सांस्कृतिक समूह है। यह बैंड बस्तर के पारंपरिक संगीत और लुप्तप्राय वाद्य यंत्रों को संरक्षित करने और उन्हें मंच पर प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। अब तक यह बैंड 52 ग्राम कला समूहों से 10,000 से अधिक कलाकारों को जोड़ चुका है और देश-विदेश में अपनी प्रस्तुतियाँ दे चुका है।

प्रदर्शनों में ‘डोंकी पाटा’ जैसे भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी गई, जिन्हें परंपरागत रूप से देवी-देवताओं के स्वागत के समय गाया जाता है। कलाकारों ने माड़िया ढोल, तिरडुड़ी, अकुम, टोड़ी, तोरम, मोहिर और देव मोहिर जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग कर एक गहन श्रवण अनुभव रचा।

बस्तर बैंड के निर्देशक अनूप रंजन पांडे ने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा, “बस्तर बैंड केवल संगीत के बारे में नहीं, बल्कि इसके हर सदस्य के जीवन जीने का एक अद्भुत तरीका है। बस्तर में हर सांस्कृतिक अभिव्यक्ति ईश्वर के आवाहन से शुरू होती है। जब तक देवी-देवताओं को आमंत्रित नहीं किया जाता, तब तक कोई भी रस्म या प्रदर्शन आरंभ नहीं होता। हमारे कलाकार हर प्रस्तुति से पहले और बाद में आशीर्वाद मांगते हैं — यह एक पवित्र चक्र है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और यह याद दिलाता है कि हर कला एक साधना है।”

इस समूह में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों के अनुभवी कलाकार शामिल हैं, जो पीढ़ियों से चली आ रही पारंपरिक कलाओं को जीवित रखे हुए हैं। इनमें जुगधर कोर्राम, नावेल कोर्राम, पंकू राम सोड़ी, लक्ष्मी सोड़ी, बुधराम सोड़ी, दुलगो सोड़ी, छन्नू ताती, आयता नाग, सुनीता सलाम, संगीता, सुखदेव दुग्गा और धनीराम जैसे कलाकार शामिल हैं, जो अपनी विशिष्ट शैली, वाद्य यंत्रों और नृत्य रूपों को इस सामूहिक मंच पर प्रस्तुत करते हैं।

दून गर्ल्स स्कूल की एक छात्रा ने अनुभव साझा करते हुए कहा, “इतना प्रामाणिक और प्रभावशाली संगीत सुनना हम सभी के लिए मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। उनकी धुनें और ताल हमें बस्तर के जंगलों की गहराइयों में ले गईं।”

इससे पहले बस्तर बैंड माउंट फोर्ट अकादमी, पुरकुल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी, युनिसन वर्ल्ड स्कूल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अपनी प्रस्तुतियाँ दे चुका है, जहाँ इन्हें खूब सराहा गया।

कल यह समूह द स्कॉलर्स होम पांवटा साहिब और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में अपनी प्रस्तुतियाँ देगा।

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