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देहरादून । स्पिक मैके उत्तराखंड ने एसआरएफ फाउंडेशन के सहयोग से आज देहरादून के समर वैली स्कूल और ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्रसिद्ध कर्नाटिक वीणा वादिका विदुषी सरस्वती राजगोपालन की एक भावमय वीणा वादन प्रस्तुति का आयोजन किया। उनके साथ मृदंगम पर मनोहर बालाचंडीराने और मिट्टी से बने पारंपरिक दक्षिण भारतीय ताल वाद्य घटम पर वरुन राजशेखरन ने संगत दी।

विदुषी सरस्वती राजगोपालन ने सरस्वती वीणा पर अपना वादन प्रस्तुत किया, जो उनकी गहन साधना और भावनात्मक अभिव्यक्ति का प्रतीक था। कार्यक्रम की शुरुआत राग बिहाग की एक रचना से हुई, जिसके बाद राग हंसध्वनि में मुत्तुस्वामी दीक्षितर की एक कृति प्रस्तुत की गई। इसके पश्चात उन्होंने राग सरस्वती में आलाप, जी.एन. बालसुब्रमण्यम की रचना और फिर राग द्विजावंती में दीक्षितर की एक अन्य कृति प्रस्तुत की। आगे उन्होंने राग नलिनाकांथि में त्यागराज की एक रचना बजाई, फिर राग हिंडोलम की प्रस्तुति दी, जो हिंदुस्तानी संगीत के राग मालकौंस के समकक्ष है। अंत में एक और मार्मिक त्यागराज कृति के साथ उन्होंने अपनी प्रस्तुति को समाप्त किए।

समर वैली स्कूल के एक छात्र ने कार्यक्रम के बारे में कहा, “इतना दिव्य संगीत लाइव सुनना किसी जादू से कम नहीं था। वीणा की मधुर ध्वनि मृदंगम और घटम की ताल के साथ बहती चली गई। यह अनुभव हमारी सांस्कृतिक विरासत से एक गहरा जुड़ाव था।”

विदुषी सरस्वती राजगोपालन कर्नाटिक वीणा वादन की शीर्षस्थ कलाकारों में मानी जाती हैं। उन्होंने 12 वर्ष की आयु में मंच पर प्रदर्शन शुरू किया था और आकाशवाणी में तीन दशकों तक स्टाफ आर्टिस्ट रहीं। उनके कार्यक्रम दूरदर्शन और आकाशवाणी पर नियमित रूप से प्रसारित होते रहे हैं। वे आकाशवाणी की टॉप ग्रेड आर्टिस्ट हैं और आईसीसीआर की आउटस्टैंडिंग श्रेणी की कलाकार भी। उन्हें 2006 में तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रतिष्ठित ‘कलैमामणि’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने श्रीमती राधामणि शर्मा, श्री के.एस. नारायणस्वामी और श्री टी.एस. राघवन से प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

मृदंगम वादक मनोहर बालाचंडीराने वर्तमान में नई दिल्ली के प्रमुख युवा कलाकारों में गिने जाते हैं। वे कर्नाटिक गायन में प्रोफेसर गुरुवायूर टी.वी. मणिकंदन के शिष्य हैं और पद्मश्री गीता चंद्रन तथा पद्मभूषण राजा राधा रेड्डी जैसे दिग्गजों के साथ संगत कर चुके हैं। घटम वादक वरुन राजशेखरन, कलैमामणि श्री ए. प्रेमकुमार, तालमणि श्री पी. वेट्रिभूपति और श्री गिरीधर उदुपा के शिष्य हैं और दिल्ली संगीत जगत के एक सक्रिय बहु-वाद्य कलाकार हैं।

यह प्रस्तुति उत्तराखंड में आयोजित स्पिक मैके की बहु-दिवसीय श्रृंखला का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत इससे पहले इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में कार्यक्रम हुआ था। यह श्रृंखला 9 मई को द दून स्कूल और 10 मई को राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी) में प्रस्तुतियों के साथ जारी रहेगी।

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